रात भर नात ओ सलाम और तकबीर की आवाज़ें बुलन्द होती रहीं तो बारहवीं रबीउल अव्वल ब्रहस्पतवार को विभिन्न इलाक़ों से जुलूस ए मोहम्मदी भी निकाला गया।काबे व मदीना ए मुनव्वरा की अक्कासी के हरे झंडे लेकर लहराते हुए नौजवान जुलूस में शामिल रहे।तो नातख्वानों व छोटे बच्चों ने भी हर्षोल्लास से नात पढ़ी और नारे तकबीर व नारे रिसालत से इलाक़ा गूंजता रहा।घरों व मस्जिदों में सुबहा से शाम तक फातेहा ख्वानी करा कर एक दूसरे घर मिठाई पहुंचाई गई।वहीं जुलूस के मार्ग पर विभिन्न सामाजिक संस्था व तंज़ीमों की ओर से शर्बत हलवा इमरती पानी चाय बिस्किट तक़सीम की गई।अच्छे नात ख्वानों को तंज़ीमों की ओर से पुरस्कार भी दिया गया।

ख़ानक़ाहे अजमली दायरा शाह अजमल में ईद मिलादुन्नबी का जलसा अपने पूरी शानो शौकत के साथ मुकम्मल हुआ।पिछले 12 दिनों से लगातार ख़ानक़ाह की मस्जिद में ईद मिलाद की महफ़िल सजाए जा रही थी और बारहवी की रात को पूरी रात बड़ा जलसा खानक़ाह के मैदान में किया गया ।पैग़म्बर ए इस्लाम की पैदाइश के मौक़े पर इस्लामी महीने रबी उल अव्वल की एक तारीख़ से लेकर बारह तारीख़ तक लगातार ख़ानक़ाह की मस्जिद और आख़िरी रात में खानक़ाह के मैदान में मिलाद की महफ़िल का इंतज़ाम किया गया !इंतज़ाम ख़ानक़ाह के मौजूदा सज्जादानशीन जनाब सैयद ज़र्रार फ़ाख़री और नायब सज्जादानशीन सैयद अरशद ज़की फ़ाख़री की ज़ेरे सरपरस्ती हुआ!ख़ानक़ाह में मिलाद की महफ़िलों की स्थापना आज से लगभग ११५ साल से इसी ख़ानक़ाह के आठवें सज्जादानशीन हज़रत मौलाना सैय्यद शाह मोहम्मद फ़ाख़िर ने इसकी बुनियाद डाली थी और उसको आगे बढ़ाया उनके बेटे और नवें सज्जादानशीन हज़रत मौलाना सैयद शाह शाहिद फ़ाख़री और उनके बाद दसवें सज्जादानशीन मौलाना सैयद मुहम्मद नासिर फ़ाख़री ने अपने लगभग ४५ सालों तक ख़ानक़ाह की रिवायतों को बख़ूबी अन्जाम दिया !पूरी रात चलने वाले इस जलसे में शहर के अच्छे मुक़र्रिरों ने जलसे में आए हुए लोगों को संबोधित किया। दायरे की मस्जिद के पेश इमाम जनाब मौलाना शमशेर आज़म ने जलसे में आए लोगों को पैगंबर हज़रत मुहम्मद साहब की सीरत के बारे में बताया और उनके बताए हुए रास्ते पर चलने का आह्वान किया।इस दौरान बच्चों ने और शहर के मशहूर शायरों ने भी इसमें हिस्सा लिया जिनमें डॉक्टर असलम इलाहाबादी अख़्तर अज़ीज़ इलाहाबादी अनस निज़ामी डॉ जलाल फूलपुरी मुख्य रुप से शामिल रहे! जलसे के आख़िर में ख़ानक़ाह के ग्यारहवें सज्जादा सैयद ज़र्रार फा़ख़री ने मिलाद पढ़ा और पैग़म्बर हयात ए ज़िन्दगी पर विस्तार से रौशनी भी डाली।महफ़िल से अमन चैन व भाई चारे का पैग़ाम देते हुए यह भी अपील की गई के गणेश उत्सव को देखते हुए सभी जुलूस समय पर निकालें और शासन प्रशासन की गाईड लाईन का अक्षरशः पालन करें और आक़ा रसूल के सच्चे हितैषी होने का सुबूत पेश करें। पूर्व पार्षद अनीस अहमद , सैय्यद मोहम्मद अस्करी ,नूर सफी फाखरी ,शाहिद नियाजी ,मजहर निजामी ,महबूब निजामी ,अमन नियाजी आदि शामिल रहे।

सुबहा नमाज़ ए फजिर के बाद खानकाह मस्जिद में कराई गई तबर्रुक़ात की ज़ियारत
खानकाह ए अजमली दायरा शाह अजमल में फ़जिर की नमाज़ के बाद दायरे की मस्जिद में तबर्रुक़ात की ज़ियारत कराई गई जिनमें ख़ास तौर से पैगंबर हज़रत मुहम्मद ए मुस्तफा के मूए मुबारक का हिफाज़त से रखा सैकड़ों बरस से महफूज बाल इसके अलावा ख़ानदान के बुजुर्गों की हस्त लिखित एक दुआ की किताब और वो साफ़ा जिसको हज़रत अली के सर पर हुज़ूर पैगंबर मोहम्मद ने अपने हाथों से बाँधा था उस साफ़े के कुछ रेशे और दो तलवारें जिनको माना जाता है कि हज़रत खिज़्र की दी हुई हैं उन सब चीज़ों की ज़ियारत कराई गई।लोगों ने बड़े ऐहतेराम से ज़ियारत की व बोसा लिया।खानकाह ए अजमली के नायब सज्जादानशीन सैयद अरशद ज़की फ़ाख़री के ज़ेरे निगरानी में तबर्रुक़ात की ज़ियारत करवाई गई !
