इसलामिक माह सफर उल मुज़फ्फर की पहली जुमेरात को करैली जे के आशियाना के अज़ाखाना मुबारक विला से नौचंदी का मातमी जुलूस अक़ीदत व ऐहतेराम के साथ निकाला गया।जुलूस मे ताबूत इमाम हुसैन ,ग़ाज़ी अब्बास का अलम व ज़ुलजनाह की शबीह गुलाब व चमेली के फूलों से सजा कर ज़ियारत को जुलूस मे साथ साथ रही।रास्ते भर अक़ीदतमन्दों ने तबर्रुक़ात पर फूल माला चढ़ा कर बोसा लिया तो वहीं क्षेत्रिय अज़ाखानो मे ज़ुलजनाह की गश्त भी कराई गई जहाँ महिलाओं ने ज़ुलजनाह का इस्तेक़बाल भीगी चने की दाल दूध व जलेबी से किया।सूती व फूलों की चादर चढ़ा कर मन्नत व मुरादें भी मांगी।मसूद हुसैन के अज़ाखाने से निकाले गए जुलूस का आग़ाज़ मोहम्मद कुमैल की तिलावते कलाम पाक से हुआ।नसीमुल हसन बिसौनवी ने मर्सिया पढ़ा।मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना सैय्यद जवादुल हैदर रिज़वी ने क़ुरान व हदीस की रौशनी मे खानदाने रेसालत की अज़ीमुश्शान करामतों व हिकमते अमली का तज़केरा करने के साथ ग़मगीन मसाएब पढ़े।अन्जुमन ग़ुन्चा ए क़ासिमया के नौहाख्वानों शादाब ज़मन ,अस्करी अब्बास सफवी ,शबीह अब्बास जाफरी ,ज़हीर अब्बास भय्या ,कामरान रिज़वी ,ऐजाज़ नक़वी ,अली रज़ा रिज़वी ,अकबर रिज़वी ,हैदर ,कुमैल ,ज़ीशान ,रज़ा ,वसीम ,ज़ीशान हैदर आदि ने जहाँ तालिब इलाहाबादी का नौहा पढ़ा वहीं शायर ए अहलेबैत ज़ीशान का लिखा नौहा पुरसा दो अहले अज़ा ज़ैनबे दिलगीर को
जानो दिले मुर्तज़ा शाह की हमशीर को
बैन यह करती वह भाई भी मारे गए
दश्ते बयाबाँ है और सारे सहारे गए
सिसकियाँ ले ले के वह रोती थी तक़दीर को
दरसे शहीदाँ द्वारा निकाले गए जुलूस मे मसूद हुसैन ,रिज़वान जव्वादी ,मंज़र कर्रार ,रज़ा मियाँ ,शादाँ रिज़वी ,सैय्यद मोहम्मद अस्करी ,जावेद रिज़वी करारवी ,महमूद ज़ैदी ,मिर्ज़ा अज़ादार हुसैन ,नजमुल हुसैन ,बाशू भाई ,महमूद अब्बास ,लखते असग़र ,अमन जायसी ,मिर्ज़ा शीराज़ ,अली रज़ा रिज़वी ,शजीह अब्बास ,ज़ामिन हसन ,रेफाक़त रिज़वी ,आरज़ू रिज़वी आदि प्रमुख रुप से शामिल रहे।