रंजीत निषाद प्रयागराज
दीपावली त्यौहार के इस सीजन में भगवान गणेश और लक्षमी की पूजा के लिए बाजारो में लक्ष्मी और गणेश की कई तरह की डिजाइनर मूर्तियो के बीच प्रयागराज में गाय के गोबर, खेत की मिट्टी से बनाई गई लक्ष्मी गणेश की पर्यावरण मित्र मूर्तियो का बाजार भी इस बार रफ़्तार पकड़ रहा है । इन मूर्तियो में किसी भी तरह के रासायनिक रंगो का इस्तेमाल न होने की वजह से यह नष्ट होने के बाद पर्यावरण को भी नुक्सान नहीं पहुचायेंगी ।
प्रयागराज में दीपावली के इस सीजन में पर्यावरण मित्र मूर्तियों अपना ख़ास मुकाम हासिल कर रही है।दीपावली को लेकर विशेष लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति बनाई गई है। गाय के गोबर से बनी यह मनमोहक लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींच रही हैं। इसके साथ ही लोगों को पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रही हैं।तो वही गाय के गोबर और खेत की मिट्टी से बनाई गई लक्ष्मी -गणेश की इन पर्यावरण मित्र मूर्तियो की ख़ास बात यह है की इसमे किसी तरह का केमिकल नहीं इस्तेमाल हुआ है ।
इन मूर्तियों की एक और ख़ास बात यह है की ये मुर्तिया देश में हासिये में जा रहे ग्रामीण इलाको के कुम्हारो के मिट्टी के कुटीर उद्याोग को भी पुनर्जीवित करने की कोशिश भी इनके जरिये की जा रही है । गाँव के कुम्हार इन मूर्तियों को बना रहे है ।
कुम्हारो के परंपरागत मिट्टी कुटीर उद्योग को बचाने में कारगर साबित हो रही इस देशी तकनीकी से जहा हमारा एक परमपरागत लोक कला और उद्योग ख़त्म होने से बच रहा है तो वही प्रयागराज के ग्रामीण महिलाओ के हाथो तैयार की गई इन मूर्तियो की बिक्री से इन गरीब महिलाओ के घरो में खुशियो का एक दिया भी इससे जलेगा ।