माहे मोहर्रम के चाँद नमुदार होते ही शुरु हुआ मजलिस मातम और अज़ादारी का दौर

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मोहर्रमुल हराम के चाँद देख कर महिलाओं ने तोड़ी सुहाग की चूड़ियां

अज़ाखानों मे अलम नसब होते ही शिया समुदाय की औरतों व मर्दों ने रंगीन वस्त्र त्याग कर पहले काले लिबास

ज़िलहिज्जा की 30 शनिवार को माहे मोहर्रम के चाँद की तसदीक़ हो गई इसी के साथ मुस्लिम बहुल्य इलाक़ो मे हज़रत इमाम हुसैन सहित अन्य करबला के शहीदों की याद मे लोगों मे सोग मनाने का सिलसिला शुरु हो गया।इमामबाड़ो मे अलम ताबूत ताज़िया तुरबत हज़रत अली असग़र का झूला आबिदे बीमार का बिस्तर आदि सजा कर मजलिस मातम और गिरया ओ ज़ारी का सिलसिला भी शुरु हो गया।अन्जुमन ग़ुन्चा ए क़ासिमया के प्रवक्ता सैय्यद मोहम्मद अस्करी के मुताबिक़ रविवार को पहली मोहर्रम से 67 दिवसीय अज़ादारी के बाद ही शिया समुदाय मे किसी भी प्रकार के मांगलिक आयोजन होंगे।रविवार को पहली मोहर्रम पर प्रातः 7 बजे बख्शी बाज़ार इमामबाड़ा नाज़िर हुसैन से मजलिस की शुरुआत हो जायगी जो रौशन बाग़ ,अहमदगंज दायरा शाह अजमल ,रानीमण्डी ,दरियाबाद ,चक ज़ीरोरोड ,पान दरीबा ,यासीन गली ,घंटाघर ,सब्ज़ीमण्डी , गुड़मंडी ,बताशामण्डी ,शाहगंज ,शाहनूर अलीगंज ,करैली , करैलाबाग़ ,दरियाबाद आदि मे क़दीमी क़ायमकर्दा इमामबाड़ो व अज़ाखानो मे देर रात तक सिलसिलेवार होती रहेंगी।माहे मोहर्रम की पाँचवी को दरियाबाद मे इमामबाड़ा गुलज़ार अली खाँ उर्फ गुजा खाँ मे मजलिस के बाद ज़नजीरों का मातम होगा और छै मोहर्रम को रौशन बाग़ स्थित मरहूम मुस्तफा हुसैन के अज़ाखाने से दो विशाल अलम झूला व ताबूत का क़दीमी जुलूस भी निकलेगा जो बख्शी बाज़ार की गलियों मे गश्त करते हुए अहमदगंज स्थित फूटा दायरा पर पहुँच कर समपन्न होगा।सात मोहर्रम को पान दरिबा से दुलदुल का जुलूस भी निकाला जायगा।

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